जहाँ तक मुझे ज्ञात है, रामायण, महाभारत आदि मान्य ऐतिहासिक ग्रंथो में, एक न एक ऐसा स्थान अवश्य पाया जाता है,
जहाँ तक मुझे ज्ञात है, रामायण, महाभारत आदि मान्य ऐतिहासिक ग्रंथो में, एक न एक ऐसा स्थान अवश्य पाया जाता है, जहाँ ऐतिहासिक महापुरुषों के प्रतीक स्वरुप कोई न कोई भवन व स्थल बनाया गया हो, यही बात ऐतिहासिक महापुरुषों के प्रतीक स्वरुप में अयोध्या में श्री राम का मंदिर कहता हु, मैंने कभी नहीं कहा की श्री राम की मूर्ति आदि को धुप दीप आदि से पूजा किया जाए। हाँ में शौर्य और पराक्रम से भरपूर हमारे ऐतिहासिक महापुरुष श्री राम के भव्य मंदिर के निर्माण का समर्थन करता हु, ये मेरा निजी विचार है, पता नहीं कुछ लोग मेरे इस निजी विचार को आर्य समाज विचारधारा से जोड़कर क्यों देखते हैं ? क्या मैं अपने निजी विचार साँझा नहीं कर सकता ? क्या नेपाल में माता जानकी का भव्य मंदिर नहीं है ? क्या महाभारत काल में महापुरुषों के लिए निर्मित स्थल नहीं होते थे ? क्या अर्जुन के रथ पर जो पताका थी उसमे अनेको महापुरुषों के प्रतीक चिन्ह प्रयोग नहीं किये गए थे ? क्या रामायण काल में परशुराम जी को दिया गया धनुष, जनक महाराज के महल की शोभा में पराक्रम के प्रतीक तौर पर नहीं रखा गया था ? क्या रामायण काल में इक्ष्वाकु वंश के...