ईश्वर स्तुति प्रार्थना मन्त्र:
"ओ३म् विश्वानी देव सवितर्दुरितानी परा सुव। यद् भद्रं तन्न् आ सुव॥१॥ (यजुर्वेद ३०/३)
तू सर्वेश सकल सुखदाता, शुद्धस्वरूप विधाता है।
उसके कष्ट नष्ट हो जाते, शरण तेरी जो आता है।
सारे दुर्गुण दुर्व्यसनो से, हमको नाथ बचा लीजे।
मंगलमय! गुण-कर्म-पदार्थ प्रेम- सिन्धु हमको दीजे।
-मोहित आर्य
तू सर्वेश सकल सुखदाता, शुद्धस्वरूप विधाता है।
उसके कष्ट नष्ट हो जाते, शरण तेरी जो आता है।
सारे दुर्गुण दुर्व्यसनो से, हमको नाथ बचा लीजे।
मंगलमय! गुण-कर्म-पदार्थ प्रेम- सिन्धु हमको दीजे।
-मोहित आर्य
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